फ रवरी से Russia Oil Exports के मामले में बड़ा बदलाव आएगा। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्यालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, अगर आपूर्ति के अनुबंध में प्राइस कैप लगाया जाएगा तो 1 फरवरी से 1 जुलाई तक विदेशी कानूनी संस्थाओं और व्यक्तियों को रूसी तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति नहीं की जाएगी।
रूस ने मंगलवार को उन देशों और कंपनियों को तेल की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया, जो यूक्रेन में मॉस्को की सैन्य कार्रवाई के जवाब में पश्चिमी देशों द्वारा सहमत मूल्य सीमा का पालन करते हैं।
राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश (presidential decree) में कहा गया, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के "विशेष निर्णय" के आधार पर व्यक्तिगत मामलों में प्रतिबंध हटाया जा सकता है, लेकिन प्राइस कैप का इस्तेमाल करने वाले देश या व्यक्तियों को एक फरवरी से तेल या उससे बनने वाले उत्पादों की सप्लाई नहीं की जाएगी।
बता दें कि यूरोपीय संघ, जी-7 और ऑस्ट्रेलिया द्वारा सहमत 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत सीमा (Price Cap) दिसंबर की शुरुआत में लागू हुई। इसका मकसद ये सुनिश्चित करना था कि रूस के राजस्व पर अंकुश लगाया जा सके, लेकिन ये भी प्रयास किए गए कि मॉस्को वैश्विक बाजार में तेल और उससे बनने वाले उत्पादों की
आपूर्ति करता रहे।
रूसी कच्चे तेल की समुद्री डिलीवरी पर यूरोपीय संघ की तरफ से प्रतिबंध लगाए गए। प्राइस कैप का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना बताया गया कि रूस अपने तेल को तीसरे देशों को उच्च कीमतों पर बेचकर प्रतिबंध को दरकिनार नहीं कर सकता है।
Russia-Ukraine जंग के बीच PM Modi ने Putin से की बातचीत | वनइंडिया हिंदी | *Politics
इसी बीच रूस की तरफ से यह भी कहा गया कि प्राइस कैप से यूक्रेन में उसके सैन्य अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। रूप से विश्वास जताया था कि उसे वैश्विक बाजार में नए खरीदार जरूर मिलेंगे।
******************************************************
*The end*
No comments:
Post a Comment